कार्यस्थल पर होने वाले लैंगिक उत्पीड़न का प्रतिबंध - कानून और उससे परे (Advance Level)

POSH अधिनियम, २०१३ पर आधारित ऑनलाइन पाठ्यक्रम

३ भाषाओं मे उपलब्ध
कालावधी - ७ घंटे
कार्यस्थल पर होने वाले लैंगिक उत्पीड़न का प्रतिबंध - कानून और उससे परे (Advance Level)
    1. अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में उपलब्ध
    2. एनिमेटेड वीडिओ
    3. परस्परसंवादी उपक्रम
    4. प्रमाणपत्र

Rs 1,999 Rs 2,499

( inclusive of gst )

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प्रशिक्षण की जानकारी

प्रशिक्षण की जानकारी वर्तमान में, सभी क्षेत्रों में - जैसे कि राजनीति, समाजीकरण, व्यवसाय और अन्य सभी क्षेत्र - महिलाएँ भेदभाव का सामना करतीं हैं, भले ही वे पुरुषों के साथ काम कर रहे हों, जो कार्यस्थल में लैंगिक उत्पीड़न के लिए अग्रणी हैं। सभी का 'सुरक्षित कार्यस्थल' होना यह संवैधानिक अधिकार है। इसलिए, भारत सरकार ने “कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न से संरक्षण (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013” पारित किया, जिसे POSH अधिनियम के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक संगठन / कंपनी को इस अधिनियम का पालन करना आवश्यक है।

Prevention of Sexual Harassment at Workplaces (POSH) अधिनियम के तहत, प्रत्येक संगठन को एक आंतरिक समिति स्थापित करने की आवश्यकता होती है, जो अपने कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील हो और प्रशिक्षित हो। हालांकि, यह देखा गया है कि वास्तव मे ऐसा नहीं हुआ है।

इस प्रशिक्षण में एकरूपता लाने और अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचने के लिए, 'एस. ए. एफ. इंडिया अकादमी', पुणे इस संस्था द्वारा यह ऑनलाइन पाठ्यक्रम बनाया है। यह प्रशिक्षण संगठन / कंपनी को कार्यस्थल में लैंगिक उत्पीड़न को रोकने और उस उत्पीड़न के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए उचित मार्गदर्शन और जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, इस प्रशिक्षण का उपयोग कार्यस्थल में सुरक्षा, विश्वास और ईमानदारी के मूल्यों को बनाए रखने और लैंगिक उत्पीड़न को कम करने के लिए किया जा सकता है।

इस ऑनलाइन प्रशिक्षण के साथ, जो नवीनतम रणनीतियों के साथ उपयोगी और सूचनात्मक है, इस विषय से संबंधित सभी व्यक्तियों, जैसे कि नियोक्ता, आंतरिक समिति के सदस्यों और कर्मचारियों तक यह आंदोलन पहुँचेगा। और इस प्रकार 'PUSH - People United Against Sexual Harassment' अभियान - कार्यस्थल और समाज को समग्र रूप से 'लैंगिक उत्पीड़न मुक्त' बनाने में योगदान देगा।

यह प्रशिक्षण किस लिए?

पॉश अधिनियम, 2013- धारा 19, धारा 24 (ए) और नियम 13 (एफ) का अनुपालन करने वाला ऑनलाइन पाठ्यक्रम

  • प्रत्येक नियोक्ता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर सकता है
  • सदस्यों और कर्मचारियों की संवेदनशीलता के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण

यह प्रशिक्षण किसके लिए है?

यह प्रशिक्षण समिति के सदस्यों, संस्थानों के प्रमुख और ऊपरी और मध्य प्रबंधक के लिए उपयुक्त है।


कोर्स मोड्यूल्स

  • लैंगिक उत्पीड़न और मानसिकता (लैंगिक उत्पीड़न के पीछे की मानसिकता की पहचान)
  • कार्यस्थल पर होने वाला लैंगिक उत्पीड़न (कार्यस्थल में होने वाले लैंगिक उत्पीड़न का कारण क्या हो सकता है या कौन सी गतिविधि लैंगिक उत्पीड़न हो सकती है)
  • POSH कानून और इसके तहत दिशानिर्देश (समझें कि इस कानून का उपयोग कैसे और कहाँ किया जा सकता है।)
  • परिणाम और प्रतिक्रियाएँ - कानून और कानून से परे जो आने वाले समय में सुरक्षा, विश्वास और निष्पक्षता की संस्कृति वाले कार्यस्थल को बनाने में मदद करेगा।
  • परिवर्तन की भूमिका (समझें कि आप में से प्रत्येक व्यक्ति कार्यस्थल में लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए क्या कर सकता है।

  • विशेषताएँ

    • समय : लगभग 7 घंटे
    • भाषा: हिंदी
    • प्रशिक्षण की अवधि - प्रशिक्षण की शुरुआत से 30 दिन होगी।
    • वीडियो
    • उपक्रम
    • स्वगत और अनुभव
    • प्रश्न-उत्तर
    • डाऊनलोड सामग्री
    • संदर्भ सामग्री
    • बड़े संगठनों के लिए भी लागू करने के लिए बेहद आसान प्रशिक्षण।

    विशेषज्ञ

    डॉ. शिरिषा साठे
    डॉ. शिरिषा साठे
    डॉ. साठे एक प्रसिद्ध समुपदेशक हैं जो मानती हैं कि चिकित्सीय हस्तक्षेप सीमित समय के लिए, सटीक और प्रभावी होना चाहिए। वे समस्या की जड़ तक पहुंचने पर ध्यान केंद्रित करती हैं और सामने वाले व्यक्ति को समस्या और अपने जीवन के सूत्रों को अपने हाथों में लेने के लिए सक्षम बनाने पर उनका जोर रहता हैं। मेडिकल डॉक्टर होने के साथ ही चिकित्सा मनोविज्ञान में मास्टर डिग्री लिए हुए डॉ. साठे शरीर विज्ञान और व्यवहार से संबंधित न्यूरोसायन्स और मनोविज्ञान का समन्वय और संतुलन बनाए रखती है। किशोरों के समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा, वह कई गैर-सरकारी संगठनों के साथ नशामुक्ति, कौटुंबिक हिंसा, वैवाहिक और विवाहपूर्व समुपदेशन के क्षेत्रों में भी काम कर रहीं है।
    अ‍ॅड. वैशाली भागवत
    अ‍ॅड. वैशाली भागवत
    अ‍ॅड. वैशाली भागवत देश के पहले प्रौद्योगिकी वकील हैं जिनके पास आईटी के क्षेत्र की पूर्व पात्रता और अनुभव है। अ‍ॅड. भागवत २२ साल से अधिक प्रॅक्टिशनर वकीली का काम कर रही हैं और पुणे में 'ऑल सर्व्हिस लॉ फर्म'का नेतृत्व कर रही हैं। उनके प्रैक्टिस में सिविल, आपराधिक और साइबर कानून में मुकदमेबाजी और गैर-मुकदमेबाजी शामिल है। इसके अलावा, वे प्रौद्योगिकी और महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के मामलों में न्याय मिलने पर विशेष जोर देती हैं।
    प्रसन्ना इनवल्ली
    प्रसन्ना इनवल्ली
    पिछले 30 वर्षों से, श्रीमती प्रसन्ना इनवल्ली महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने, हिंसा को रोकने और कौटुंबिक हिंसा के पीड़ितों की सहायता और उन्हें परामर्श प्रदान करने के लिए काम कर रही हैं। नेतृत्व विकास के लिए 'मैकआर्थर फाउंडेशन फैलोशिप' प्राप्त करने के बाद, उन्होंने ‘सखी हेल्पलाइन’ नामक कौटुंबिक हिंसा टेलीफोन हेल्पलाइन शुरू की।कार्यस्थल में महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए गठित विभिन्न संगठनों की आंतरिक समितियों में वह एक बाहरी सदस्य के रूप में भी काम करती हैं।

    Professionals Speak

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    Pradeep Bhargava

    Former president MCCIA

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    Adv. Vaishali Bhagwat

    Advocate (Civil & Cyber Law)

    Expert person

    Vikas Agarwal

    Co-Founder - Legalogic Consulting

    Testimonials

    Ayush Agrawal play-icon

    Ayush Agrawal Co-Founder- Seniority Pvt. Ltd.

    “It was really eye-opening. The course is hard hitting, thought provoking and really engaging and because it was online it is very easy to access. It’s a course that made me question all the inherent biases that all of us carry.”

    Sahil Deo play-icon

    Sahil Deo Co-Founder CPC Analytics

    “I must say that I was extremely impressed with the course and therefore before doing this I did not have a great understanding of this very important subject. I would definitely recommend this course. It is not a dry, legal course, but provides a lot of examples with a focus on psychological aspects of prevention.”

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    Dr. Nikhil Varude CEO, Circadian Communications and Analytics

    "I have done 'n' number of courses, my employees have done 'n' number of courses But what I found in this POSH course is that they have made it in a very interesting way. They tell each and every concept in a story form, in a case study form. They just don't throw legal mumbo-jumbo on you."

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